हू मूव्ड माय चीज हिन्दी बुक समरी | Who moved my cheese Hindi Book Summary


हू मूव्ड माय चीज हिन्दी बुक समरी 

हू मूव्ड माय चीज हिन्दी बुक समरी, Who moved my cheese book summary in hindi
हू मूव्ड माय चीज

परिवर्तन को देखना और परिवर्तन के साथ परिवर्तित होना ये कहानी है हू मूव्ड माई चीज की यानि मेरा चीज किसने हटाया | जिसके लेखक हैं - डा० स्पेंसरजोन्सन |
ये किताब हमें जीवन में  बदलाव के साथ बदलना सिखाती है |  
 यह कहानी है चार मजेदार पात्रों की , चीज की और भूलभुलैया की | 
वे चार पात्र हैं स्निफ , स्केरी , हेम और हा | जिनमें स्निफ और स्केरी दो चूहे हैं | हेम और हा दो छोटे लोग हैं | जिनके आकार चूहों की तरह हैं, बनावट और  व्यवहार मनुष्यों की तरह हैं |

Who moved my cheese in hindi, Book summary Who moved my cheese
Book summary Who moved my cheese  
ये चारों पात्र अपने भूलभुलैया में अपनी मनपसंद चीज की खोज करते हैं | यहाँ पर चीज प्रतीक है उसका जो आप अपने जीवन में पाना चाहते हैं | यह कुछ भी हो सकता है अच्छी नौकरी , व्यवसाय , मनचाहा रिश्ता , पैसा , बेहतर स्वास्थ , मन की शांति |
भूलभुलैया प्रतीक है उस जगह का जहाँ आप चीज को पाना चाहते हैं | जैसे आपका संगठन जहाँ आप काम करते है , परिवार या समुदाय जहाँ आप रहते हैं |  
कहानी में चीज को चारों पात्रों के साथ वास्तविक चीज के साथ जोड़कर रखा गया है | चीज यानि कि पनीर |
कहानी में पात्रों को अप्रत्याशित परिवर्तन का सामना करना पड़ता है और अंत में एक इसके साथ सफलतापूर्वक व्यवहार करता है | वह अपने अनुभवों को भूलभुलैया की दीवारों पर लिखता है जिन्हें देखकर आप सीख सकते हैं कि आप परिवर्तन से कैसे निपटे ताकि अपने जीवन में कम तनाव और अधिक आनंद ले सकें |
स्निफ और स्केरी - जिनमें सूंघना , खरोंचना , सरलता , दिमाग पर बिना किसी बोझ के , अनावश्यक विश्लेषण से बचना , परिवर्तन को भांपकर तेजी से नई खोज की ओर दौड़ना ये सब शामिल है |
हेम का व्यवहार जिसमें जटिलता , बदलाव को नकारना , कार्यवाही से डरना-डराना शामिल है |
हा का व्यवहार जिसमें डरना , देखना और सीखना, यह समझना कि बदलने से कुछ बेहतर हो सकता है शामिल है |
कहानी की शुरुआत में , चारों पात्र यानि दोनों चूहे स्निफ और स्केरी और दोनों छोटे लोग हेम और हा रोजाना भूलभुलैया में अपने जागिंग सूट और दौड़ने वाले जूते पहनकर अपने खास चीज की अपने-अपने तरीकों से तलाश करने निकल पड़ते थे |
भूलभुलैया एक ऐसी जगह थी , जहाँ ढेर सारे अज्ञात रास्ते थे | अंधी गलियाँ और गलियारे थे | यहाँ पर जीवन के अदभुत रहस्य भी छिपे थे |
दोनों चूहे स्निफ और स्केरी जिनके पास चीजों को सूघने और खुरचने की अदभुत क्षमता थी, जैसा कि चूहों में होती है | वे अपनी उन्ही क्षमताओं का इस्तेमाल करके आगे बढ़ रहे थे | वे प्रयास और भूल के सिद्धांत पर काम कर रहे थे | वे किसी एक रास्ते पर चीज को सूंघते हुए खोजते यदि उन्हें वह स्थान खाली मिलता तो बिना किसी विश्लेषण के वे तत्काल दूसरी दिशा में दौड़ पड़ते |
दूसरी ओर, छोटे लोग के पास अपने खास तरह के जटिल दिमाग थे | वे स्थिति का विश्लेषण करते हुए अपने लिए खास तरह के चीज की तलाश कर रहे थे |
और एक दिन इसी तरह अपने-अपने तरीकों से खोज करते हुए उन चारों पात्रों - स्निफ , स्केरी , हेम , हा को अपनी पसंद का चीज चीज स्टेशन सी मिल गया | उसी भूलभुलैया के किसी एक गलियारे में -  चीज स्टेशन सी |
स्निफ और स्केरी , हर रोज ठीक समय पर चीज स्टेशन सी जाते | वहाँ का चक्कर लगाते , सूंघते और अपने जूतों को अपने गर्दन में बांध लेते जिससे कभी भी जरुरत पड़ने पर उन्हें जल्दी से पैरों में पहना जा सके | उसके बाद वे आराम से बैठकर चीज के स्वादिष्ट टुकड़ों को खाते |
दूसरी तरफ, हेम और हा आराम से अपने सूट और जूते उतारकर कुछ दूरी पर रख देते | और चीज के स्वादिष्ट टुकड़ों का आनंद उठाते | फिर धीरे-धीरे वे कुछ देरी से भी जाते | क्योंकि चीज हमेशा उन्हें वहीँ पर उसी तरह से मिल जाता | उन्हें पता चल गया था इतना बड़ा चीज का भंडार बड़ी खोज के बाद उन्हें मिला है | जो शायद कभी ख़त्म नहीं होगा |
वे कभी ये नहीं सोचतें थे कि ये चीज वहाँ कैसे आया होगा या उसे वहां किसने रखा होगा | बल्कि वे हमेशा यही सोचतें कि चीज हर रोज वहां वैसा ही मिलेगा |
उन्होंने उस चीज के विशाल भंडार के आस-पास अपने घर और सामाजिक जीवन का भी निर्माण कर लिया था |
कुछ ही समय के बाद वे मानसिक रूप से बहुत ही निश्चिन्त हो गए थे , अपने चीज को लेकर | वे बिल्कुल भी नहीं देख रहे थे कि चीज स्टेशन सी के आसपास क्या हो रहा है | वे वहां रोजाना होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तनों से बिल्कुल अनजान थे |
दूसरी तरफ , स्निफ और स्केरी अपने पहले दिन की दिनचर्या की तरह अभी भी बने थे | वे जल्दी से तैयार होकर चीज स्टेशन सी पहुँच जाते | वे पहले सूंघते , खरोचते और तेजी से चीज स्टेशन सी के चारों ओर चक्कर लगाते | और ये देखते कि पिछले दिन की तुलना में आज क्या परिवर्तन हुआ | वे रोज वहां होने वाले परिवर्तनों को देख रहे थे | उसके बाद वे अपने जूतों को अपनी गर्दन में लटकाकर बांध लेते और फिर बैठ कर चीज का आनंद लेते |
एक दिन जब वे सुबह चीज स्टेशन सी पर गए और यह देखा कि वहाँ पर कोई चीज नहीं था |   
स्निफ और स्केरी बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हो हुए | क्योंकि वे हर रोज चीज की घटती हुई मात्रा पर नजर रखे हुए थे | वे देख रहे थे कि चीज की आपूर्ति हर रोज थोड़ी-थोड़ी कम होती जा रही थी | इसलिए उनके लिए कुछ भी ऐसा नहीं हुआ जो चिंता और तनाव पैदा कर सकता था |
उन्होंने एक दुसरे को देखा | अपने जूते अपने पैरों में बांधें जो उन्होंने पहले से ही अपने गर्दन में लटकाए हुए थे | स्थिति का बिलकुल भी विश्लेषण नहीं किया | वे तत्काल नये चीज की तलाश में भूलभुलैया में नये रास्तों की ओर दौड़ पड़े |
रोज की ही तरह जब आराम से हेम और हा चीज स्टेशन सी पर पहुंचे तो वहां चीज स्टेशन सी को बिल्कुल खाली देखकर चिल्ला उठे यह क्या ? चीज कहाँ गया ? मेरा चीज किसने हटाया ? मेरा चीज किसने हटाया ?
वे इतनी जोर से चिल्लाने लगे जैसे कि जितनी जोर से वे चिल्लाएँगे तो चीज उतनी जल्दी वापस वहां पर रख दिया जायेगा |
वे अपने कूल्हों पर हाथ रखकर , अपने चेहरे पर हाथ रखकर चिल्लाने लगे | उन्होंने बड़ी मेहनत से इसे खोजा था | उन्होंने इसके चारों ओर अपने घरलू और सामाजिक जीवन का निर्माण करना भी शुरू कर दिया था | उनके लिए सबकुछ अकल्पनीय और अविश्वश्नीय था | वे समझ रहे थे कि चीज अचानक वहां से हटा लिया गया था | वे हर रोज चीज की घटती हुई आपूर्ति पर ध्यान नहीं दे रहे थे और न ही इसे समझना चाहते थे | वे काफी देर तक ये विश्वास करने में लगे रहे कि वास्तव में चीज स्टेशन सी पर अब कोई चीज नहीं है और यह पूरी तरह खाली है | हेम और हा भूखे और हताश होकर उस दिन अपने घरों की ओर लौट गए |
अगले दिन हेम और हा फिर चीज स्टेशन सी पर आये | उन्हें अब भी विश्वास था कि शायद कहीं से या कोई आकर उनका चीज वापस वहां रख देगा | लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ |
अचानक हा ने स्निफ और स्केरी के बारे में सोंचा |
हा ने कहा हमारे चारों ओर की चीजें बदल रहीं हैं | हमें खुद को भी बदलना होगा | हा ने समझाया कि हमें विश्लेषण करना बंद करके नये चीज की तलाश करनी चाहिए |
हेम तैयार नहीं हुआ | उसका तर्क था कि जब समस्या हमने पैदा नहीं की तो हम खुद को क्यों बदलें |
दूसरी तरफ , स्निफ और स्केरी तेजी से भूलभुलैया के नये रास्तों में इधर-उधर दौड़ रहे थे | वे जानते थे कि चीजविहीन स्थिति में पड़े रहने से ज्यादा बेहतर है भूलभुलैया में नये चीज की तलाश करते रहना |
आखिरकार , उन्हें मिल ही गया | नये चीज का एक नया भंडार | यह भूलभुलैया का वह हिस्सा था जहाँ वे इससे पहले कभी नहीं आये थे | नया चीज स्टेशन एन |
इधर , हेम और हा अपनी पुरानी स्थिति में बने रहे | हा ने अपने चुहों मित्रों स्निफ और स्केरी के बारे में सोंचा | उसने कल्पना में एक चित्र बनाया जिसमें स्निफ और स्केरी को नये चीज को खाते देखा | उसने इस चित्र को और अधिक स्पष्टता से देखा | उसने खुद को भी स्निफ और स्केरी के साथ नये चीज आनंद लेते हुए देखा |
नये चित्र की इस तरह की कल्पना ने हा को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उसने हेम से भी साथ चलने को कहा |  हेम ने अपना तर्क दिया  भूलभुलैया में बहुत से अनजान और डरावने रास्ते है | हम बूढ़े और कमजोर हो रहे हैं | भूलभुलैया में हम सिर्फ नष्ट हो सकते हैं |
हेम की बातों से हा का डर फिर वापस आ गया |
वे वही करते रहे | जो हर रोज करते थे | वे खाली चीज स्टेशन सी पर चीज वापस आने की उम्मीद से जाते | और निराशा और चिंताएं लेकर घर वापस आ जाते |
एक दिन हेम और हा अपने औजारों के साथ आये | उन्होंने ये सोंचा कि शायद किसी ने उनका चीज दीवार के पीछे छिपा दिया होगा | वे छेनी और हथौड़ी से दीवार में प्रहार करने लगे | उनकी इस मेहनत के परिणाम के रूप में दीवार में सिर्फ एक बड़ा सा छेद दिखाई दिया |
उनकी गतिविधि और उनकी उत्पादकता का अंतर साफ़ दिख रहा था | वे भूख और तनाव से धीरे- धीरे कमजोर होते जा रहे थे |
एक दिन हा अपने ऊपर हंसा देखो हम लोगों को | हम लोग स्थिति बदलने पर भी वही काम करते रहे और उम्मीद करते रहे कि परिणाम बदल जायेंगे |
हा ने अपनी कल्पना में एक चित्र बनाया | इस चित्र को वास्तविक रूप देने के लिए अपने आपको ढेर सारे अलग-अलग  चीज के साथ , चीज का आनंद लेते देखा | उसने देखा वह स्विस चीज, अमेरिकन चीज , इतावली चीज और दुसरे अन्य सॉफ्ट चीज के बीच बैठा है | और उनका आनंद ले रहा है |
हा ने कहा कभी- कभी चीजें एक जैसी नहीं रहती | वे बदल जाती हैं | बदलाव ही स्थायी होता है | यही जीवन है | हमें भी बदलना चाहिए |
हा एक बार फिर जोर से हंसा और उसने घोषणा की यह भूलभुलैया समय है |
हेम न तो हंसा और न ही उसने कोई प्रतिक्रिया दी |
हा ने एक छोटा सा पत्थर उठाकर दीवार पर एक विचार लिखा
अगर आप बदल नहीं सकते तो आप नष्ट हो सकतें हैं |
उसने भूलभुलैया में उत्सुकता के साथ प्रवेश किया | हालाँकि उसके डर उसको कमजोर कर रहे थे | बहुत समय तक उसे कोई चीज नहीं मिला |  वह अपने चारों ओर भय को महसूस कर रहा था | उसने भूलभुलैया की दीवार पर एक विचार लिखा और बहुत देर तक उसे देखता रहा
अगर मैं डरता नहीं तो क्या करता |
उसने महसूस किया कि पिछली चीजविहीन स्थिति में चीज स्टेशन सी पर वह बहुत देर तक रहा | एक कमजोर मुस्कान के साथ उसने सोंचा कभी नहीं से देर सही |
उसमें अभी पर्याप्त आत्मविश्वाश नहीं था | वह भूलभुलैया के अंदर उलझन भरी स्थिति में था | क्योंकि पिछली बार की अपेक्षा यहाँ की स्थितियां काफी बदल गयी थी |
उसने यह भी याद किया कि चीज स्टेशन सी का चीज एकाएक ख़त्म नहीं हुआ था | उसकी मात्रा धीरे-धीरे कम होती जा रही थी | उस पर फफूंदी भी जमने लगी थी | लेकिन उसने रोज होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तनों पर ध्यान नहीं दिया था | उसने एहसास किया कि यदि वह उसने छोटे-छोटे रोज होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान दिया होता तो बदलाव उन्हें आश्चर्यचकित न करता | वे बदलाव को भांपकर उसे स्वीकार कर लेते | जैसा कि स्निफ और स्केरी ने किया |
कई दिनों के बाद भूलभुलैया में चीज की तलाश करते हुए उसे एक जगह चीज का विशाल भंडार मिला | बड़ा सा चीज स्टेशन | वह अंदर गया , उसने देखा कि वह पूरी तरह खाली था |
हा की शारीरिक स्थिति कमजोर होती जा रही थी | उसे लगा अब वह भूलभुलैया में नष्ट हो जायेगा और जीवित नहीं बच पायेगा |
उसने एक बार फिर अपने आप से पूछा अगर मैं डरता नहीं तो क्या करता |
उसने भूलभुलैया की दीवार पर लिखा
नई दिशा में सक्रिय रहना , आपको नये चीज की ओर ले जाने में मदद करता है |
फिर वह खुद पर हंसा | उसने सोंचा कि उसके डर स्थितियों को बुरा बना रहे थे | डर वास्तविकता में वैसा नहीं था जैसा उसने डर की कल्पना की थी | उसने वह किया जब वह डरा हुआ न होने पर करता |
वह भूलभुलैया के अँधेरे गलियारों में मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा | उसे पूरा आनंद लिया | उसे कोई चीज नहीं मिल रहा था | फिर ऐसा क्या था जो उसकी आत्मा को पोषण दे रहा था | बहुत समय के बाद उसने अच्छा महसूस किया | वह अपने डर को नियंत्रित कर रहा था | उसी समय भूलभुलैया के किसी कोने से उसने ठंडी हवा को महसूस किया | उसने कुछ गहरी सांसे ली | अब उसने खुद से पूछा मेरे पास कोई चीज नहीं है , फिर भी मुझे इतना अच्छा क्यों लग रहा है |
उसने भूलभुलैया की दीवार पर लिखा
जब आप डरना बंद कर देते हैं तो आप अच्छा महसूस करते हैं |
उसने स्थितियों को और बेहतर करने के लिए अपने मन में चित्र बनाना शुरू किया | उसने उस चित्र में खुद को ढेर सारे चीज के बीच बैठे हुए देखा | उसने अपनी पसंद के चीज को खाते हुए , आनंद लेते हुए देखा | और पूरा विश्वास किया |
उसने फिर भूलभुलैया की दीवार पर लिखा
चीज की वास्तविक और सुन्दर कल्पना आपको नये चीज के करीब ले आती है |
अभी तक वह यही सोचा करता था कि परिवर्तन केवल बुरा ही कर सकता है | अब वह यह सोचने लगा कि परिवर्तन हमेशा अच्छे के लिये होता है |
अब पूरी ताकत और ख़ुशी के साथ भूलभुलैया में आगे बढ़ने लगा | उसे फिर कुछ स्वादिष्ट चीज के टुकड़े मिले | जो वास्तव में बहुत स्वादिष्ट थे | कुछ हेम के लिए भी रख लिया | उसे एक बार फिर भूलभुलैया में चीज स्टेशन दिखा | पर यह खाली था | केवल कुछ स्वादिष्ट टुकड़े इधर-उधर पड़े मिले |
उसने हेम के बारे में सोचा | वह हेम के पास वापस पुराने चीज स्टेशन सी गया और उसे नये चीज के टुकड़े दिए |  हेम ने कहा मुझे मेरा वही चीज चाहिए और जब तक वह मुझे नहीं मिल जाता मैं यहीं पर अपने चीज के आने का इंतजार करता रहूँगा |
हा हेम से निराश होकर फिर अपने रास्ते पर भूलभुलैया में आ गया |
उसने दीवार पर लिखा
जितनी जल्दी आप पुराने चीज को छोड़ते हैं , उतनी जल्दी आप नये चीज की ओर बढ़ते है |
उसने यह जान लिया था कि चीज न होने पर भी वह कैसे खुश रह सकता है | उसने अपने आपको भीतर से बदलना शुरू किया | उसने दीवार पर लिखा
भूलभुलैया में चीज की तलाश करते रहना आपको ज्यादा खुश रखता है बजाय इसके कि आप चीजविहीन स्थिति में बने रहें |
परिवर्तन हमेशा होता है | चाहे आप इसकी अपेक्षा करें या न करें | परिवर्तन केवल तभी आपको आश्चर्यचकित करता है जब आप इसकी अपेक्षा नहीं करते |
हा भूलभुलैया की दीवार पर लिखा
पुराने विश्वाश आपको नये चीज की ओर नहीं ले जाते |
हा ने महसूस किया कि नये विश्वास उसके नये व्यवहार में बदल रहे थे | जो उसे नये चीज की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे |
हा अपनी कल्पना में पूरी वास्तविकता के साथ खुद को नये-नये चीज का आनंद उठाते देखता था | जो उसे भूलभुलैया में अनजान रास्तों में चीज की तलाश करने की ताकत देते थे | उसने दीवार पर लिखा
छोटे परिवर्तनों पर ध्यान देते रहने से आने वाले बड़े परिवर्तनों को स्वीकार करना आसान हो जाता है |
उसने भूलभुलैया में हर तरफ चीज को खोजना जारी रखा | जहाँ-जहाँ वह कभी नहीं गया था हर उस जगह वह जाकर देखता था | जहाँ पर उसे चीज मिलने की सम्भावना नजर आती थी |
अब चीज खोजना उसके लिए एक मजेदार सफ़र बन गया था | और वह पूरी ताकत और गति से भूलभुलैया में चीज की तलाश कर रहा था |
आखिरकार , अपने सफ़र के इस हिस्से में हा भूलभुलैया के उस गलियारे में पहुँच गया जहाँ वह पहले नहीं गया था | वहां उसने देखा नया चीज स्टेशन एन |
वह उस हिस्से के और अंदर गया और जाकर देखा | बहुत बड़ी मात्रा थी यहाँ पर नये चीज की | हा ने इससे पहले ऐसा चीज का भण्डार नहीं देखा था | निश्चित ही यहाँ की स्थिति पिछले चीज स्टेशन सी से भी बहुत अच्छी थी | अचानक हा को विश्वाश ही नहीं हो रहा था | वह यह समझने की कोशिश कर रहा था कि यह सब वास्तविक है या सिर्फ कल्पना है |
उसे तब जाकर विश्वास हुआ जब उसने वहां पर स्निफ और स्केरी को देख लिया |
स्निफ और स्केरी ने हा का स्वागत किया | उनके छोटे फुले हुए पेट बता रहे थे कि वे यहाँ नये चीज स्टेशन एन पर बहुत दिनों से थे | हा ने उन्हें हैलो कहा और अपने पसंदीदा चीज के टुकड़ों को उठाया | उसने अपने जूतों को उतारा और अपने गर्दन में बांध लिया जिससे जरुरत पड़ने पर उन्हें दुबारा आसानी से ढूँढा जा सके | हा ने नये चीज को पूरे आनंद के साथ खाया |
हा ने याद किया कि स्निफ और स्केरी ने बदलाव के साथ अतिविश्लेषण नहीं किया | बदलाव होते ही उन्होंने खुद को तेजी से बदल लिया | उन्होंने चीजों को सहज बनाये रखा | और लचीले बने रहे और तेजी से आगे बढे |
हा ने महसूस किया कि वह कब परिवर्तित हुआ | जब वह अपने डर पर हंसा जो उसको आगे बढ़ने से रोक रहे थे |
जब उसने अपने आपका काल्पनिक चित्र देखा जिसमें वह नये चीज का आनंद ले रहा था | जिसने उसके सफ़र को आनंददायक बना दिया |
आप छोटे- छोटे परिवर्तनों का निरीक्षण करते रहें जिससे आप खुद को आने वाले बड़े परिवर्तनों के लिए तैयार कर सकें |
हा ने अपने मित्र हेम के बारे में सोंचा | यदि उसने भूलभुलैया की दीवारों पर लिखी बातों को पढ़ा होगा तो शायद वह भी बदलने के लिए तैयार हो गया होगा | एक बार उसने हेम के पास जाने का विचार भी बनाया किन्तु यह सोंचकर रुक गया कि इससे पहले भी उसने उसे कई बार समझाने की कोशिश की थी |
चीज की इतनी बड़ी आपूर्ति चीज स्टेशन एन तक पहुँचने के बाद अब हर रोज हा चीज स्टेशन एन का निरीक्षण करता था जिससे चीज की ताजा स्थिति के बारे में रोज पता चल सके | और वह किसी भी अनपेक्षित बदलाव के लिए तैयार हो सके | इसके अलावा वह चीज स्टेशन एन के बाहर भूलभुलैया में चीज के दुसरे विकल्पों को भी खोजने में लगा रहा | उसने इस यात्रा में जो कुछ सीखा वह भूलभुलैया की दीवारों पर इस तरह लिखा
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1. ‘बदलाव के साथ बदलना ही हमें बेहतर स्थिति की ओर ले जाता है | पुरानी स्थिति के साथ खुद को जकड़े रहना हमें कहीं लेकर नहीं जाता |’
2. परिवर्तन की अपेक्षा करें | परिवर्तन को स्वीकार करें | खुद को परिवर्तित करें |
3. आने वाले बड़े बदलाव का सामना हम तभी कर सकते हैं जब छोटे बदलाव पर हम शुरू से ही नजर रखते हैं |
4. अपने मस्तिष्क को हमेशा सतर्क-स्थिति (Alert Zone) में रखें | इसकी किसी भी वक्त जरुरत पड़ सकती है |
5. अपने काल्पनिक-क्षेत्र में बनायी गयी तस्वीर को जितनी वास्तविकता से आप देखते हैं लक्ष्य की ओर आपकी ऊर्जा उतनी ही तेज प्रवाहित होती है |
6. जितनी ख़ुशी के साथ आप अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे लक्ष्य भी उतनी तेजी के साथ आपकी ओर बढेगा |
7. बदलाव स्थायी है | बदलाव ही जीवन है | बदलाव का आनंद लें |


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