MOTIVATIONAL HINDI SHORT STORY
मित्रों ! एक राजा था। वह रोज अपने मंत्री के साथ जंगल में सैर करने जाया करता था।
एक दिन हमेशा की तरह वह अपने मंत्री के साथ जंगल में सैर के लिए गया। रास्ते में एक सांप ने राजा के पैर के अंगूठे में काट लिया। मंत्री ने तुरंत राजा के पैर का अंगूठा काट दिया। राजा को मंत्री के ऊपर बहुत क्रोध आया। राजा ने मंत्री से क्रोधित होकर कहा, ''तुम्हें मुझसे पूछना था। यह तुमने क्या किया। '' मंत्री ने बड़ी विनम्रतापूर्वक कहा , ''महाराज, यह सांप बहुत ही जहरीला होता है। इसका जहर बहुत तेज शरीर में चढ़ता है। इससे पहले कि मैं आपसे कुछ पूछता, आप कुछ सोंचते , कुछ निर्णय लेते। जहर शरीर में चढ़ जाता और आपकी जान को खतरा हो जाता। इसलिए मैंने जो कुछ भी किया , वह आपकी जान बचाने के लिए आपके हित में ही किया है। ''
किन्तु राजा का क्रोध शांत नहीं हुआ। उसने मंत्री को दण्ड देने के लिए उसे कैदखाने में डाल दिया। अब मंत्री को राजा के ऊपर बहुत क्रोध आया। उसने सोंचा कि मैंने राजा की जान बचायी और उसने मुझे कैदखाने में डाल दिया।
कुछ दिनों के बाद , हमेशा की तरह राजा अकेले ही जंगल में सैर के लिए गया। क्योंकि मंत्री तो कैदखाने में बंद था। उस दिन उधर जंगल में कुछ धार्मिक तरह के लोगों का समूह गुजर रहा था। उन्हें अपनी देवी माँ के लिए किसी की बलि चढ़ानी थी। उनकी नजर राजा पर पड़ी। उन लोगों ने राजा को पकड़ लिया। और वे लोग राजा को बलि चढाने ले जाने लगे। संयोग भी कुछ ऐसा था कि राजा भी उसी देवी का परम भक्त था। उन लोगों ने देवी माँ के सामने राजा को नहलाया , धुलाया , साफ - सुथरे , सुन्दर कपड़े पहनाए। देवी माँ की आराधना के बाद जैसे ही उन लोगों ने राजा की बलि देने के लिए हथियार उठाया , उनमें से किसी की नजर राजा के पैर के कटे हुए अंगूठे पर पड़ गयी। उसने कहा , ''रुको , यह बलि नहीं दी जा सकती। देवी माँ की बलि के लिए हमें पूरे आदमी की जरुरत है। इसका तो एक पैर का अंगूठा नहीं है। '' और उन लोगों ने राजा को छोड दिया।
राजा ने मन ही मन ईश्वर का धन्यवाद किया और तुरंत अपने मंत्री के पास गया। सबसे पहले उसने मंत्री को कैदखाने से आजाद किया और हाँथ जोड़कर अपने मंत्री से माफी मांगी , ''मुझे माफ कर दो मंत्री जी। आज आपके कारण मेरे प्राण बच गए।'' मंत्री ने हैरान होकर पूछा, ''क्यों ? क्या हुआ महाराज।'' राजा ने सारी घटना विस्तार से मंत्री को बतायी और कहा कि वे लोग तो मेरी बलि चढाने वाले ही थे लेकिन उनमें से किसी की नजर मेरे पैर के कटे हुए अंगूठे पर पड़ गई और उन लोगों ने मुझे छोड़ दिया। राजा ने मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा, ''यदि आपने उस दिन जंगल में मेरे पैर का अंगूठा न काटा होता तो आज मेरी बलि चढ़ जाती और मेरे प्राण चले जाते।''
मंत्री ने एक लंबी साँस ली और कहा, ''जीवन में जो कुछ भी होता है वह सब अच्छे के लिए ही होता है।'' थोड़ी देर बाद मंत्री ने हाथ जोड़कर राजा से माफी माँगी, ''मुझे माफ कर दीजिये महाराज। आज आपके कारण मेरे भी प्राण बच गए।'' अब राजा ने हैरान होकर मंत्री से पूछा, ''क्यों ? आपके साथ क्या हुआ मंत्री जी ?
मंत्री ने कहा, ''जब आपने मुझे कैदखाने में डाल दिया था तो मुझे आप के ऊपर बहुत क्रोध आ रहा था। किन्तु यदि आपने मुझे कैदखाने में न बंद किया होता तो आज मैं भी आपके साथ जंगल में होता और वे लोग बलि चढाने के लिए आपको छोड़कर मुझे पकड़ लेते और फिर मेरे प्राण चले जाते। ''
राजा ने फिर हाथ जोड़कर ऊपर आसमान की ओर देखते हुए कहा, ''जीवन में जो कुछ भी होता है वह सब हमेशा अच्छे के लिए ही होता है। ''
मित्रों ! मुझे पूरा विश्वाश है कि यह मोटिवेशनल स्टोरी आपको अच्छी लगी होगी। कहानी का मूल सन्देश भी आपको समझ में आ गया होगा।
मित्रों ! आप स्वस्थ रहें, सुखी रहें और सफल रहें। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ---------
आपका
मुकेश कुमार सिंह
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