पावर आफ पोजीटिव थिंकिंग हिन्दी बुक समरी | Power of positive thinking Hindi Book Summary


पावर आफ पोजीटिव थिंकिंग-हिन्दी बुक समरी  

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पावर आफ पोजीटिव थिंकिंग
दोस्तों ! मशहूर लेखक नार्मन विन्सेन्टपील जिन्हें फादर आफ पोजीटिव थिंकिंग - सकारात्मक सोंच का पितामह कहा जाता है | इनकी पावरफुल किताब पावर आफ पोजीटिव थिंकिंग यानि सकारात्मक सोंच की शक्ति एक आत्म सुधार - सेल्फ इम्प्रूवमेंट की एक पावरफुल गाइड है| लेखक यहाँ पर पूरी पुस्तक में बाइबिल पर आधारित मुलभुत सिद्धांत आस्था की बात करतें हैं | बाइबिल जो हमें जीवन में आस्था रखना सिखाती है | आस्था यानि साइंस आफ फेथ क्या है इसे कैसे विकसित किया जाता है हम अपने जीवन में आस्था का प्रयोग कैसे कर सकते हैं - आस्था के प्रयोग से हम
अपने जीवन में मनचाहे सकारात्मक परिणाम कैसे हासिल कर सकतें हैं |
लेखक यहाँ तक भी कहते हैं कि आस्था की शक्ति से चमत्कार होते हैं |
लेखक हमें समझाते कि आस्था पैदा होती है - प्रार्थना की शक्ति से | लेखक अपनी इस किताब पावर आफ पोजीटिव थिंकिंग में अपने वर्षों के अनुभवों और ढेर सारे उदाहरणों के माध्यम से बतातें हैं कि जीवन में वैज्ञानिक, व्याहारिक और प्रभावशाली प्रार्थना कैसे की जाती है जिससे आस्था विकसित होती है और मस्तिष्क में बनने वाली सकारात्मक , स्पष्ट  मानसिक तस्वीरों से आस्था प्रबल होती है | फिर यही प्रबल आस्था मनचाहे परिणाम हमें जीवन में लाकर देती है |


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प्रार्थना की शक्ति यानि पावर ऑफ़ प्रेयर


हर समस्या सुलझ सकती है और सही तरीके से सुलझ सकती है , बशर्ते आप प्रार्थना करें | प्रार्थना की शक्ति ऊर्जा का प्रकटीकरण है | प्रार्थना करते समय आप दुनिया की महानतम शक्ति के सामने खड़े हैं |आपकी जितनी आस्था होगी , आपको उतना ही मिलेगा |
हमारी पूरी सृष्टि तरंगों में है | टेबल के अणुओं में तरंगें हैं , वायु में तरंगें हैं | इंसानों के बीच के व्यवहार में भी तरंगें हैं | प्रार्थना की प्रक्रिया में आप ब्रम्हांड में उन तरंगों को जाग्रत कर देते हैं जिससे ईश्वर प्रार्थना में मांगी गयी वस्तु को प्रदान कर देता है |
मस्तिष्क के भीतर वे सभी संसाधन मौजूद हैं जिनकी सफल जीवन के लिए जरुरत है | चेतना में वे विचार मौजूद हैं जिन्हें यदि सही तरह से प्रयोग किया जाये तो किसी भी काम में सफलता हासिल की जा सकती है |
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Power of positive thinking
यह शक्ति लगातार उपलब्ध रहती है | अगर आप इसके लिए अपने द्वार खोल देते हैं तो यह शक्ति तूफान की तरह अंदर आ जाती है | शक्ति का यह जबर्दस्त प्रवाह इतना शक्तिशाली होता है कि इसके अन्दर आने की प्रक्रिया में यह डर , नफरत , बीमारी , कमजोरी , नैतिक पराजय इत्यादि को बाहर निकाल देता है फिर आपके जीवन में स्वास्थ , सुख और अच्छाई द्वारा ताजगी और शक्ति प्रदान करता है|
ईश्वर ने हमारे मस्तिष्कों के भीतर वे सारी शक्तियाँ और योग्यताएँ प्रदान की है | हमें सिर्फ इनका दोहन करना है और इन्हें विकसित करना है | ऐसी कोई समस्या , कठिनाई या पराजय नहीं है जिसे आप आस्था , सकारात्मक चिंतन और ईश्वर की प्रार्थना द्वारा न सुलझा पायें या जिस पर आप विजय हासिल न कर पाए |
अपनी ऑंखें बंद करके दुनिया से अपना ध्यान हटा लें और ईश्वर की उपस्थिति पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए छोटी-छोटी प्रार्थनाएं करें | आप ऐसा हर दिन जितना ज्यादा करेंगे , आपको ईश्वर की उपस्थिति का एहसास उतना ही ज्यादा होगा |

 उम्मीद और विश्वास की शक्ति यानि पावर ऑफ़ होप एंड बिलिफ


इस अध्याय में लेखक ईश्वरीय मार्गदर्शन की बात करते हैं | जब भी आपके ऊपर नकारात्मक विचार हावी होने लगे | आप के सारे प्रयास विफल हो रहे हों तो आप इन शक्तिशाली शब्दों को अपने मन में बोलना शुरू कर दें मैं इश्वर की मदद से सारे काम कर सकता हूँ, क्योंकि वही मुझे शक्ति देते हैं |
प्रबल आस्था प्रार्थना से हासिल होती है | हम किस तरह से सोचते है , यह ज्यादा महत्वपूर्ण है | न कि यह ,  कि हम कितना जानते हैं | क्योंकि नजरिये तथ्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं दोस्तों | इस अभ्यास को करने के लिए अपने मन में सिर्फ इन शब्दों को दोहराएं ईश्वर मेरे साथ है , ईश्वर मेरी मदद कर रहा है , ईश्वर मुझे राह दिखा रहा है |’’ | इसकी मानसिक तस्वीर बनाएं | आपका मष्तिष्क इसे पूरा करने में लग जायेगा | धीरे- धीरे यह सब कुछ हकीकत में बदल जायेगा |
उम्मीद करना एक शक्तिशाली तरीका है जिससे जो काम असंभव लगता था , वह अब संभाबना के क्षेत्र में आ जाता है |
जब आप सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करतें हैं तो आप आकर्षण के नियम के अनुसार सर्वश्रेष्ठ को आपकी ओर आकर्षित करते हैं |
लेखक आस्था को व्यक्तिगत एकता के रूप में भी परिभाषित करतें हैं | व्यक्तिगत एकता क्या है? जब आपकी पूरी शक्तियां यानि शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक किसी एक बिंदु पर एकाग्र हो जाती हैं तो इसी को व्यक्तिगत एकता कहतें हैं | इसके विरोध में संसार की कोई भी बाधा खड़ी नहीं हो सकती |
यदि आपमें आस्था है , तो आप पहाड़ को भी हिला सकतें हैं |
सर्वश्रेष्ठ को हासिल करने की इस प्रक्रिया में यह जानना महत्वपूर्ण है कि आप जीवन में कहाँ जाना चाहते हैं | आपका लक्ष्य क्या है | आपकी उम्मीद या आशा का एक स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य होना चाहिए | अगर आप बिना लक्ष्य के चल रहें हैं , तो आप सर्वश्रेष्ठ परिणामों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं |
मष्तिष्क जो तस्वीर देखता है , आप वही बन जातें हैं , बशर्ते आप इस मानसिक तस्वीर को प्रबलता से देखें | चाहे आप बुरी से बुरी स्थिति में हों , परन्तु सर्वश्रेष्ठ की सम्भावना आपके भीतर हमेशा छुपी है | आपको सिर्फ इसे खोजना है , मुक्त करना है और इसके साथ ऊपर उठना है |
सच्चा सिद्धांत यह है कि मस्तिष्क जिस बात की गहराई से उम्मीद करता है वह उसे मिल जाती है | अगर आप पूरे दिल से रचनात्मक हाथ बढ़ाते हैं तो आपका हाथ खाली नहीं लौटेगा |
लेखक सात शब्दों का एक महान नियम बताते हैं
आस्था की शक्ति से चमत्कार होतें हैं |
यह शब्द बेहद कीमती हैं , बहुमूल्य हैं | इन्हें अपने चेतन मष्तिष्क में बिठा लीजिए|  इन्हें अपने अवचेतन मष्तिष्क में डूब जाने दीजिये |
आस्था की शक्ति से चमत्कार होतें हैं |
ये आपको किसी भी कठिनाई पर विजय दिलाने में आपकी मदद करेंगे | इन्हें बार-बार कहिये | तब तक दोहराते रहिये जब तक आपका मष्तिष्क इन्हें स्वीकार न कर ले |
आस्था की शक्ति से चमत्कार होतें हैं |
आप हर बाधा को पार कर सकतें हैं | आप आस्था की शक्ति द्वारा बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकतें हैं |
ईश्वर द्वारा खुद को दी गई शक्तियों में विश्वास करें |

लगातार और सहज ऊर्जा कैसे हासिल करें


कड़ी मेहनत से इन्सान की ऊर्जा बर्बाद नहीं होती बल्कि भावनात्मक असंतुलन से बर्बाद होती है |
प्रसिद्ध वैज्ञानिक थामस ए एडिसन पूरी तरह से प्रकृति और ईश्वर के सामंजस्य में जीते थे | उनमें कोई असंतुलन नहीं था | ब्रम्हांड के साथ उनके अदभुत सामंजस्यपूर्ण संबंध के कारण प्रकृति ने उनके सामने अपने गोपनीय रहस्य खोल दिये |
ईश्वर से यह प्रार्थना करें हे ईश्वर ! आप सारी ऊर्जा के स्रोत हैं | आप सूर्य की , अणु की , मांस की , रक्तवाहिनी की , मस्तिष्क की ऊर्जा के स्रोत हैं | मैं आपकी असीम ऊर्जा से अपनी ऊर्जा ग्रहण कर रहा हूँ | फिर इस विश्वास का अभ्यास करें कि आप ऊर्जा हासिल कर रहें हैं |
अपने काम में पूरी तरह मन लगायें | अपने कामों में आप जितनी अधिक रूचि लेंगे , आपको उतनी ही ज्यादा ऊर्जा मिलेगी |
ईमानदारी से खुद से पूछे कि आप किस तरह की दुर्भावना या विद्वेष या कटुता को पाले हुए है और अगर ऐसा है तो फिर इन्हें बाहर निकाल फेंके | बिना देर किये उनसे मुक्ति पा जाये | नफरत से आपके सिवा किसी और को नुकसान नहीं होता | इससे उस आदमी को कोई नुकसान नहीं होता जिसके विरोध में आपने इन भावनाओं को पाल रखा है | कई लोग इसलिए बीमार नहीं रहते क्योंकि वे कोई गलत चीज खा रहे हैं , बल्कि इसलिए बीमार रहते हैं क्योंकि उन्हें कोई गलत चीज खा रही है |
भावनाएं उतनी ही असली हैं जितने कि कीटाणु और उनसे उतना ही सतर्क रहने चाहिए |
याद रखें क्रोध की स्थिति हमेशा गर्म होती है , कई बार बेहद गर्म भी | इसलिए किसी भी भावना पर काबू करने के लिए इसे ठंडा कर लें | जब कोई आदमी गुस्सा होता है तब उसकी मुट्ठी भिचने लगती है , आवाज का स्तर बढ़ जाता है, शरीर अकड़ जाता है | जान-बुझ कर इच्छा के प्रयोग द्वारा अपनी मुट्ठी न भिंचने दें | अपनी उँगलियों को सीधा रखें | जान-बुझ कर अपनी आवाज के स्तर को कम कर लें | कुर्सी पर लुढ़क जायें या यदि संभव हो तो लेट जायें | लेटे-लेटे गुस्से से विचलित बहुत कठिन होता है |
रिलेक्स यानि इत्मीनान पुनर्रचना का परिणाम है और पुनर्रचना की प्रक्रिया निरंतर होनी चाहिए | इन्सान को शक्ति के उस निरंतर प्रवाह से जुड़े रहना चाहिए जो ईश्वर से प्राप्त होती है और इसे दुबारा ईश्वर के पास नवीनीकरण के लिए भेजना चाहिए | जब कोई इस सतत पुनर्रचना प्रक्रिया की लय में जीता है तो वह आराम करने और आसानी से सफलता हासिल करने की कला को सीख जाता है |
इसके लिए अपने काम को पसंद करने का पक्का इरादा कर लें | अपने काम की योजना बनायें | अपने सारे कामों को एक साथ करने की कोशिश न करें , बल्कि एक-एक करके काम करें | सही मानसिक रवैया रखें | अपने काम में कुशल बनें | सही तरीके से काम करना हमेशा ज्यादा आसान होता है | रिलैक्स्ड रहने का अभ्यास करें | इत्मीनान से किया गया काम हमेशा बेहतर होता है | अपने आपको इस तरह से अनुशासित करें कि जो काम आप आज कर सकते हैं , उसे कल पर न टालें |  

सुखी जीवन कैसे हासिल करें


आप सुखी होंगे या दुखी - यह फैसला कौन करता है ? जबाब है - आप खुद |
सुखी रहने की आदत से ही जीवन सुखी बनता है | और हम इस आदत को विकसित कर सकतें हैं , इसलिए अपने सुख का निर्माण करने की शक्ति हमारे अपने हाथों में ही होती है | लेखक सुख का रास्ता अपनाने के लिए कहते हैं नफरत को दिल से निकाल दो , चिंता को दिमाग से निकाल दो | सादगी से रहो | जब आप अंदर से बदल जातें हैं तो आप सुख का निर्माण करतें हैं | तब आपको यकींन ही नहीं होगा कि आप उसी दुनिया में रह रहे हैं | सच तो यह है कि यह वही दुनिया नहीं होगी क्योंकि आप वही नहीं रहे , और आप ही उस दुनिया को निर्धारित करते हैं जिसमें आप रहते हैं | जब आप बदल जाते हैं तो आपकी दुनिया भी बदल जाती है |
गुस्सा होने का अर्थ है भीतर से उबलना , अंदर से धुंआ निकलना , आंदोलित होना , असंतुलित होना | चिढ़ने का अर्थ है व्यर्थ में हाथ पैर पटकना , परेशान होना | यह सब अपनी शक्ति या ऊर्जा को नष्ट करके जीवन को कठिन बनाने का नकारात्मक उपाय है |
जल्दबाजी आज के दौर का एक खासा प्रचलन बन गया है | हम सब कुछ पाने की हमेशा जल्दबाजी में रहते हैं | ईश्वर आपकी जल्दबाजी के साथ नहीं चलने वाला | ईश्वर की गति निरंतर है , पूरी तरह संतुलन में है | वह शांतिपूर्ण है | जो भी आप सचमुच चाहते हैं वह आपको वहीँ पर मिलेगा जब आप वहां पहुँच जायेंगे | इसलिये सामान्य , सहज और ईश्वर द्वारा आदेशित गति विकसित करने का निश्चित रूप से प्रयास करें | मानसिक शांति का अभ्यास करें और इसे बनाये रखें | न चिढ़े , न गुस्सा हों | शांतिपूर्ण होने का अभ्यास करें |
इसके लिए एक अभ्यास करें
सबसे आसान जगह से शुरू करें यानि अपने शरीर से | स्थिर बैठ जायें या लेट जायें | तीन-चार गहरी सांसे लें और बाहर निकालें | खुद से धीरे-धीरे मन ही मन बोलें मेरे पंजे शांत हो रहें हैं , मेरी अंगुलियाँ शांत हो रहीं हैं , मेरे चहरे की मांस पेशियां शांत हो रहीं हैं  , मेरी गर्दन शांत हो रही है, मेरी पूरी पीठ शांत हो रही है, मेरी पूरी छाती शांत हो रही है,  मेरे दोनों हाथ-पैर  शांत हो रहें हैं,  मेरे शरीर का एक एक अंग , रोम-रोम शांत हो रहा है | मानसिक शांति हासिल करने का मुलभुत तरीका है अपने मष्तिष्क को खाली करने का अभ्यास करना |
किसी चीज से परेशान मत होना | किसी चीज से मत डरना | हर चीज गुजर जाती है , सिवाय ईश्वर के | केवल वही काम आता है |
मौन वह तत्त्व है जिसमें महान वस्तुएं अपने आपको आकार देती हैं | मौन में उपचार की , शांति की , स्वास्थ्य प्रदान करने की बहुत शक्ति है |
इमर्सन ने कहा था आदमी वैसा ही होता है जैसा वह दिन-रात सोचता रहता है |
ब्रम्हांड में कितनी आश्चर्यजनक और जबरदस्त ऊर्जा मौजूद है | ऊर्जा की यही शक्ति मानवीय मस्तिष्क में रहती है | औसत आदमी को जितना एहसास है वह उससे अधिक महान उपलब्धि हासिल करने में समर्थ है | अपने मस्तिष्क में गहराई से देखिये | अदभुत आश्चर्य वहाँ पर मौजूद है |
सबसे पहले तो मन को शांत कर लें | विश्वास करें कि ईश्वर आपकी मदद कर रहा है | उपलब्धि की तस्वीर बनायें | आपकी राह में कितनी भी मुश्किलें हों , नये विचार के प्रवाह से आप हर मुश्किल को दूर कर सकते है , जी हाँ , हर मुश्किल को |

इलाज में आस्था की शक्ति


लेखक कहते हैं - चिंता दरअसल है क्या ? यह सिर्फ एक हानिकारक और विध्वंसात्मक मानसिक आदत है | आप चिंता की आदत के साथ पैदा नहीं हुयें हैं | आपने इसे सीखा है | और चूँकि आप अपनी किसी भी सीखी हुई आदत और नजरिये को बदल सकते हैं , इसलिए आप चिंता को भी अपने दिमाग से बाहर निकाल सकते हैं | इसके लिए सही समय सिर्फ एक ही है और वह है अभी | इसलिए तत्काल अपनी चिंता की आदत छोड़ना शुरू कर दीजिये |
चिंता की वजह से Arthritis  भी हो सकता है | इस बीमारी के कारणों का विश्लेषण करने वाले डाक्टरों का कहना है कि इस बीमारी में हमेशा निम्न कारण या कम से कम इनमें से कुछ देखने में आतें हैं आर्थिक नुकसान , कुंठा , तनाव , डर , अकेलापन, दुःख , दीर्घकालीन दुर्भावना और चिंता करने की आदत |
लेखक ने एक वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर ४५० लोगों पर अध्ययन किया जो सौ साल से ज्यादा समय तक जीवित रहे | उनके दीघार्यु होने के कुछ कारण इस प्रकार थे
१.       वे व्यस्त रहते थे |
२.      वे सभी चीजों में संयम से काम लेते थे |
३.      वे कम और सादा भोजन करते थे |
४.     उन्हें जीवन में बहुत मजा आता था |
५.     वे जल्दी सोते और जल्दी उठते थे |
६.      वे चिंता और डर से मुक्त थे |
७.     उनके मन में शांति थी और ईश्वर में आस्था थी |
हम न सिर्फ डर को अपने दिमाग में जगह देते हैं बल्कि उसका प्रभाव हमेशा शरीर की कोशिकाओं , ऊतकों और बाकि अंगो पर भी पड़ता है |
अपने दिमाग को हर दिन खाली करने का अभ्यास करें | इस बात की तस्वीर बनायें कि आप अपने दिमाग से अपनी चिंताओं और डर को बाहर निकाल रहें हैं | खुद से यह कहते रहिये , ईश्वर की मदद से मैं अपने दिमाग से सारी चिंताओं , डर और असुरक्षा की भावना को निकाल रहा हूँ |
अपने जीवन के हर दिन यह कल्पना करें कि ईश्वर मेरे साथ हैं , वह मेरी सहायता कर रहा है | वह मुझे रास्ता दिखा रहा है |
लेखक के अनुसार ईश्वर विज्ञान के माध्यम से भी काम करता है और ईश्वर आस्था के माध्यम से भी काम करता है | यह विश्वास करें कि इलाज में मेडिकल साइंस के आलावा आस्था भी महत्वपूर्ण होती हैं | जैसा कि एक डाक्टर अक्सर कहतें हैं हम मरीज  का इलाज करते हैं , ईश्वर उसे ठीक करता है | ईश्वर ने हर बीमारी के लिए दो इलाज दिए हैं पहला विज्ञान यानि डाक्टरों या दवाओं का इलाज और दूसरा आस्था द्वारा इलाज | यदि प्रबल इच्छा के साथ सबकुछ ईश्वर के हाथों में छोड़ दें तो उपचारक शक्तियां आश्चर्यजनक गति से सक्रिय हो जाती है | अगर अंतिम विचार सकारात्मक हैं तो आपको सकारात्मक और उपचारक परिणाम मिलेंगे |


सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में आस्था की शक्ति


लोगों के नाम याद रखने की आदत डालें | रिलैक्स्ड रहने का गुण विकसित करें | ऐसे संकेत न दें जैसे आप सब कुछ जानते हों | स्वभावाविक बनें और विनम्र बनें | रोचक बनने का गुण विकसित करें ताकि लोग आपके साथ रहना चाहे | नफरत या शिकायतों को अपने दिल से निकाल दें | किसी की उपलब्धि पर बधाई देने का अवसर न छोड़े , न ही किसी के दुःख या निराशा में सहानुभूति व्यक्त करने का कोई अवसर जाने दें |

लेखक ने अपने जीवन की निजी समस्याएं सुलझाने के लिए समस्याओं को ईश्वर के हाथ में छोड़ने का फार्मूला बताया है | समस्या सुलझाने का एक शक्तिशाली फार्मूला ईश्वर की कल्पना अपने पार्टनर के रूप में करें | हम अपने पार्टनर की तरह उससे बात कर सकते हैं , उससे मदद हासिल कर सकते हैं और उसका सहारा ले सकते हैं |
विश्वास करें कि हर समस्या का समाधान है | शांत रहें | तनाव से  विचारों की शक्ति का प्रवाह रुक जाता है | आपका मस्तिष्क तनाव की स्थिति में ठीक से काम नहीं करता | जबाब ढूढने की जल्दी न मचाये | अपने दिमाग को रिलेक्स्ड रखें | अपनी समस्या के बारे में प्रार्थना करें और यह यह विश्वास करें कि ईश्वर आपके मस्तिष्क में समाधान की रोशनी चमका देगा | ईश्वर से मार्गदर्शन मांगे और कहें हे ईश्वर , आप मेरा मार्गदर्शन करें |" अंतर्दृष्टि और अंतर्बोध की शक्ति में विश्वास करें | अपने अवचेतन मस्तिष्क को कार्य करने दें | इसके बाद निश्चित ही सही समय पर आपकी समस्या का समाधान आपके सामने प्रकट हो जायेगा |

दोस्तों इसी के साथ मैं इस अदभुत किताब की बुक समरी यहीं पर समाप्त करता हूँ | आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद | 


    


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