रिच डैड पुअर डैड हिन्दी बुक समरी | Rich dad poor dad Book Summary


रिच डैड पुअर डैड हिन्दी बुक समरी

Rich dad poor dad Book Summary, रिच डैड पुअर डैड हिन्दी बुक समरी
Rich dad and poor dad in hindi
दोस्तों ! जब पर्सनल फायनांस और मनी मैनेजमेंट की बात आती है तो दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय किताबों में रिच डैड पुअर डैड का नाम सबसे ऊपर आता है | जिसके लेखक हैं राबर्ट टी कियोसाकी | जो कि अमेरिकी व्यवसायी और लेखक हैं | कियोसाकी रिच ग्लोबल एलएलसी और रिच डैड कंपनी के संस्थापक हैं जो पर्सनल फायनांस की शिक्षा प्रदान करती है | 
जब इस पुस्तक के लेखक छोटे थे | तभी से यह विचार उनके दिमाग में कौंध रहा था
मैं उन विषयों को पढ़ने में इतना समय क्यों बर्बाद करूँ जो असल जिंदगी में मेरे कभी काम नहीं आयेंगे |”  
यह विचार बहुत ही गहरे तक उनके दिमाग में बस गया था |
लेखक के अनुसार धन का विषय स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता | स्कूलों में केवल एजुकेशनल और प्रोफेशनल स्किल पर ही जोर दिया जाता है | न कि पैसों से सम्बंधित मनैजेमेंट स्किल पर | स्कूलों में केवल यही सिखाया जाता है कि स्कुल जाओ , अच्छे ग्रेड हासिल करो , कड़ी मेहनत करो और किसी सुरक्षित नौकरी की तलाश करो और जीवन भर पैसों के लिए कड़ी मेहनत करते रहो |
लेखक के अनुसार बचपन में उसके दो डैडी हुआ करते थे | एक उनके खुद के डैडी थे जिन्हें लेखक पुअर डैड कहते थे | जो बहुत पढ़े-लिखे थे और बहुत समझदार थे | वे पीएचडी थे और उन्होंने अपने चार साल के अंडरग्रेजुएट कार्य को दो साल से कम समय में पूरा कर लिया था | और दूसरे , लेखक के बचपन के दोस्त माइक के डैड थे जिसे लेखक अपना रिच डैड कहते थे यानि अमीर डैड | दूसरे डैड की शिक्षा केवल आठवीं तक हुई थी |
दोनों डैड अपने-अपने कैरिएर में बहुत कामयाब थे | दोनों ने ही अपने जीवन में बहुत मेहनत की थी | दोनों ने ही पैसा भी बहुत कमाया था | परंतु उनमें से एक यानि पुअर डैड जिंदगी भर पैसे के लिए परेशान होते रहे | और मरने के बाद अपने पीछे ढेर सारा कर्ज छोड़कर मरे | जबकि दूसरे यानि रिच डैड अमेरिका में हवाई के सबसे अमीर आदमियों में से एक बन गये | उनके मरने के बाद उनके परिवार , चर्च और जरुरतमंदों को करोड़ों डालर की दौलत मिली |
दोनों डैडी उन्हें ढेर सारी सलाहें दिया करते थे | लेकिन उनकी सलाहें अलग-अलग हुआ करती थीं | दोनों डैडी शिक्षाओं पर बहुत जोर दिया करते थे परंतु शिक्षाएं अलग-अलग हुआ करती थीं |
जैसे एक डैडी अक्सर कहते थे , पैसे का मोह ही सभी बुराईयों की जड़ है| जबकि दूसरे डैडी कहा करते थे, पैसे की कमी ही सभी बुराईयों की जड़ है| 
एक डैडी को अक्सर इस तरह बोलने की आदत थी, मैं इसे नहीं खरीद सकता | जबकि दूसरे डैडी इस तरह के शब्दों के प्रयोग से बहुत चिढ़ते थे | वे समझाते हुए कहते कि इस तरह बोलना चाहिए, मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ | वे समझाते कि मैं इसे नहीं खरीद सकता हूँ बोलने से हमारा दिमाग काम करना वहीँ बंद कर देता है | जबकि मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ बोलने से हमारा दिमाग वहीँ से काम  करना शुरू कर देता है |
कितना फर्क है दोनों के विचारों में |
एक डैडी सिखाते थे, मेहनत से पढ़ो ताकि तुम्हें किसी अच्छी कंपनी में नौकरी मिल जाये | जबकि दूसरे डैडी की शिक्षा यह थी कि मेहनत से पढ़ो ताकि तुम्हें किसी अच्छी कंपनी को खरीदने का मौका मिल जाये |
एक डैडी का कहना था , जहाँ पैसे का सवाल हो , सुरक्षित कदम उठाओ , खतरा मत उठाओ | दूसरे डैडी का कहना था , खतरों का सामना करो और उनका प्रबंधन करना सीखो |
एक डैडी ये समझाते कि अच्छी नौकरी पाने के लिए एक अच्छा सा बायोडाटा कैसे लिखा जाये | दूसरे डैडी ये सिखाते कि कैसे मजबूत व्यवसायिक योजनायें लिखी जायें जिससे मैं नौकरियां दे सकूँ |
गरीब डैडी यह हमेशा कहते थे , मेरी पैसे में कोई रूचि नहीं है या पैसा महत्वपूर्ण नहीं हैं | अमीर डैडी कहते थे , पैसे में बहुत ताकत है |
लेखक के अनुसार हमें अपने विचारों पर बहुत ध्यान देना चाहिए और अपनी अभिव्यक्ति पर भी | लेखक ने यह देखा कि मेरे गरीब डैडी इसलिए गरीब नहीं थे कि क्योंकि वे कम कमाते थे , बल्कि इसलिए गरीब थे क्योंकि उनके विचार और काम गरीबों की तरह थे |
लेखक ने बचपन से ही यह देख लिया था कि दोनों डैडियों के विचारों में बहुत अंतर था | ऐसा नहीं था कि दोनों पैसा नहीं कमाना चाहते थे या उन्होंने पैसा कमाया नहीं | पैसा तो दोनों ने ही कमाया परंतु पैसों को लेकर उनके विचारों में बहुत अंतर था और यही अंतर उनकी जिंदगियों में भी आया | एक, अपने पीछे ढेर सारा कर्ज छोड़कर गए | और दूसरे, बहुत बड़ा आर्थिक साम्राज्य |
हम पैसों को लेकर किस तरह की विचारधारा में जीतें हैं | यही तय करता है कि हमारा आर्थिक भविष्य कैसा होगा ? केवल यही नहीं कि हमने कितना कमाया ?
गरीब होने और पैसा न होने में फर्क होता है | पैसा पास में न होना अस्थायी होता है , जबकि गरीबी स्थायी है |
यदि थोड़े समय के लिए हमारे पास बहुत पैसा नहीं है तो भी पैसों से जुड़े विचार और मान्यताएं बता देती हैं कि हम अमीर हैं या गरीब | यदि थोड़े समय के लिए हमारे पास बहुत पैसा है तो भी पैसों से जुड़े विचार और मान्यताएं बता देती हैं कि हम अमीर हैं या गरीब |
लेखक की शिक्षा तब से शुरू हुई थी जब वे केवल नौ साल के थे | और इसी कारण जो पाठ उन्हें अमीर डैडी ने पढ़ाये थे वे बहुत आसान थे | और देखा जाय तो लेखक के अनुसार उनके अमीर डैडी ने तीस सालों तक कुल छ: महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाये | यह पुस्तक उन्हीं छ: पाठों के बारे में है जिसे अमीर डैडी ने आसान तरीकों से बताये थे | ये सभी छ: पाठ मार्गदर्शक की तरह लिखे गए हैं जो अमीर बनने में आपकी और आपके बच्चों की बहुत मदद करेंगे | चाहे बदलती हुई इस अनिश्चित दुनिया में कुछ भी होता रहे |
दोस्तों ! पैसों , बिजनेस , निवेश के बारे में इस किताब में लेखक ने बहुत ही गूढ़ और मुश्किल बातों को जितनी सरलता और आसानी से बताया है वह मैंने इससे पहले किसी भी किताब में नहीं पढ़ी है | जो हर किसी को पढ़नी चाहिए और हर कोई इन बातों को समझ सकता है | और इन बातों को समझने के बाद आप आर्थिक आजादी की ओर बहुत आसानी से बढ़ सकते हैं | मैंने इस किताब को अलग-अलग समय में कई बार पढ़ी है | लेखक ने इस किताब के मध्यम से पैसों से सम्बंधित जिन बुनियादी शिक्षाओं के बारे में मुख्य रूप से बताया है वो मैं आपको summarize करके यहाँ बता रहा हूँ

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Rich dad and poor dad book 

पहली शिक्षा

अमीर लोग पैसों के लिए काम नहीं करते | उनका पैसा उनके लिए काम करता है |


उनका पैसा उनके लिए कड़ी मेहनत करता है | दिन रात काम करता है | और उनके लिए और ज्यादा पैसा कमाकर देता है | जिससे वे और अमीर बनते चले जाते हैं |

दूसरी शिक्षा

आपकी असली संपत्ति क्या है |


इस बात को लेखक ने बड़े आसान तरीके से बताया है | मध्यवर्गीय लोग सोचतें हैं कि उनकी आय से खरीदी गयी हर चीज उनकी संपत्ति होती है | जबकि ऐसा नहीं है |
संपत्ति यानि एसेट्स वह होती है जो पैसे कमाकर जेब में डालती है |
दायित्व यानि Liabilities वह होती है जो आपके द्वारा कमाए हुए पैसों को आपकी जेब से बाहर निकालती है |
उदाहरण के लिए यदि आप अपने पैसों से कोई कार खरीदतें हैं तो आपका अकाउंटेंट इसे आपके संपत्ति वाले कालम में रख देगा और आपको समझाएगा कि यह आपकी संपत्ति है | किताबी ज्ञान के अनुसार कार आपकी संपत्ति है | स्कूलों में भी दरअसल यही सिखाया जाता है | लेखक के अनुसार यदि आपकी कार सालाना रखरखाव , बीमा आदि के खर्च के रूप में पैसे आपसे ले रही है | और कमाकर एक भी पैसा नहीं दे रही है तो निश्चित ही आपकी कार आपकी संपत्ति नहीं है | यह आपका दायित्व है | कार आपकी संपत्ति तभी होगी जब यह अपने ऊपर किये गए सालाना खर्च से ज्यादा पैसे आपको कमाकर दे | यही बात आपके द्वारा ख़रीदे गए घर पर भी लागू होती है |

तीसरी शिक्षा

आपके जीवन को कैशफ्लो कैसा है |

 लेखक समझाते हैं कि मध्यमवर्गीय लोग अपनी आय के पैसों यानि कैशफ्लो को सीधे बाजार जाकर खर्च कर देते हैं | बाजार से अपनी जरुरत की चीजें या सुविधाओं और विलासिता की अन्य चीजें भी अपनी आय के पैसों यानि कैशफ्लो से सीधे खरीद लेतें हैं | इसके लिए वे कर्ज भी ले लेते हैं | जिससे आगे चलकर उन्हें पैसों के लिए और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है |

मध्यमवर्गीय लोग अपनी आय को सीधे खर्च देते हैं | या फिर वे अपनी आय से कोई दायित्व खरीद लेतें हैं |

जबकि अमीर लोग ऐसा नहीं करते हैं | वे अपनी आय से संपत्तियां खरीदते हैं | फिर वे अपनी संपत्तियों से होने वाली आय यानि कैशफ्लो से अपनी जरुरत की चीजें , सुख सुविधाएँ और विलासितें की चीजें खरीदते हैं | और अपनी आय से खरीदी गयी संपत्ति को सुरक्षित रखते हैं और इसे लगातार बढ़ाते रहते हैं | यानि संपत्ति वाले कालम में रखा उनका पैसा उनके लिए कड़ी मेहनत करता रहता है |

चौथी शिक्षा

चूहा दौड़ यानि RAT TRAP


लेखक अपनी इस किताब में एक ख़ास तरह के टर्म का कई जगह इस्तेमाल करते हैं | और टर्म है चूहा दौड़ | जो मध्यमवर्गीय लोगों का कैशफ्लो पैटर्न है जो कि आगे चलकर उनका लाईफ पैटर्न बन जाता है | जिसमें लोग अपनी कड़ी मेहनत से कमाए गए धन को टैक्स चुकाने के बाद बाजार लेकर जाते हैं और उससे अपनी जरुरत की चीजें खरीद लाते हैं | और कभी-कभी आसपड़ोस को दिखाने के लिए कुछ विलासिता की चीजें भी खरीद लेते हैं | पैसे कम पड़ने पर वह क़र्ज़ भी ले लेते हैं | यह पैसा ख़त्म होने के बाद अगले पैसों के लिए उन्हें फिर से कड़ी मेहनत करनी पड़ती है | लेखक इसी टर्म को चूहा दौड़ कहते हैं | लेखक इस चूहा दौड़ से बाहर आने के लिए सुझाव देते हैं कि अपनी मेहनत से कमाए गए पैसों को कभी भी बाजार में जाकर खर्च न करें और न ही उनसे कोई दायित्व ख़रीदें | बल्कि उससे संपत्ति खरीदें | धीरे-धीरे उन संपत्तियों को इकट्ठा करें और उसे इतना बढ़ा लें कि उनसे मिलने वाली आय आपके आपके खर्चों या दायित्व से बहुत ज्यादा हो जाय | फिर आप उस आय से अपनी मिलने वाली आय से अपनी जरुरत की चीजें या विलासिता की चीजें खरीदें | एक बार यदि आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आप इस चूहा दौड़ से मुक्त हो जाते हैं | और अपनी आर्थिक आजादी की राह पर आगे बढ़ने लगते है | यदि आप फिर से अपनी जरूरतों के लिए उन्हीं संपत्तियों को बेचना शुरू कर देते हैं तो फिर से आप उसी चूहा दौड़ में फंस जाते हैं | यहाँ पर आपको अपने खर्च और दायित्वों को कम करते रहने और लगातार संपत्तियों को बढ़ाते रहने की जरुरत होती है | यहाँ पर अपने ऊपर अनुशासन रखने और खुद को काबू में रखने की जरुरत है |

आर्थिक आजादी की एक कीमत होती है | जिसकी शुरुआत खुद को काबू में रखने और अपने ऊपर अनुशासन रखने से होती है |

पांचवीं शिक्षा

कारपोरशन की ताकत


लेखक बहुत ही आसान तरीके से बताते हैं कि कैसे व्यक्तिगत आय में आमदनी होने पर पहले टैक्स भरा जाता है और बची हुई रकम से हमें खर्च करना होता है | और वहीँ दूसरी तरफ कारपोरशन की आय में आमदनी होने पर पहले जरुरी खर्च करने के बाद बची हुई रकम पर टैक्स भरा जाता है | यह कारपोरशन सिर्फ एक क़ानूनी दस्तावेज होता है जो एक फर्म के रूप होता है | जिसे अमीर लोग अपने आर्थिक कवच के रूप में इस्तेमाल करते हैं |

छठवीं शिक्षा

फायनेंशियल बुद्धि में निवेश


लेखक साफ़ बताते हैं कि पारंपरिक स्कूल हमें कौशल प्रधान बनाते हैं | वे हमारी उन काबिलियत की शिक्षा देते हैं जिनसे पैसा कमाया जाता है | इसके बाद पैसे की समझ , पैसों का रख रखाव , उन्हें कैसे खर्च किया जाय , उनका निवेश कैसे किया जाय जैसी कोई बुनियादी शिक्षा हमें नहीं दी जाती | लेखक हमें अपनी फायनेंशियल बुद्धि में शिक्षा , धन और समय के निवेश की सलाह देते हैं | जो हमारे अंदर पैसों की समझ को विकसित करते हैं | यानि हम यदि थोड़ा सा धन , थोड़ी सी शिक्षा और थोड़ा सा समय अपनी फायनेंशियल बुद्धि को विकसित करने में लगा दें तो जीवन भर हमें उसका लाभ मिलता रहता है |
दोस्तों ! आखिर में यह जाने कि लेखक की सुप्रसिद्ध किताब रिच डैड पुअर डैड को किन 5 कारणों से पढ़ना चाहिए |

  • यह किताब , यह मिथक तोड़ती है कि अमीर बनने के लिए ज्यादा कमाना जरुरी है |
  • यह किताब , यह साबित करती है कि आपका घर संपत्ति नहीं है | 
  • यह किताब , माँ बाप को बताती है है कि पैसे के बारे में उनके बच्चे को स्कूलों में कुछ भी नहीं सिखाया जाता है और इसलिए उन्हें केवल स्कुल के नहीं बैठना चाहिए |
  • यह किताब , हमेशा के लिए यह स्पष्ट करती है कि असल में संपत्ति क्या है और दायित्व क्या  है |
  • यह किताब , आपको यह सिखाती है कि भविष्य की आर्थिक सफलता के लिए अपने बच्चों को क्या सिखाती है |

तो दोस्तों ! मैं यह बुक समरी यहीं पर समाप्त करता हूँ | आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद |
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